कोहिनूर सर्वप्रथम 12वीं - 14वीं शताब्दी में भारत में कोल्लूर. आंध्रप्रदेश स्थित खान में प्राप्त हुआ।

प्रथम मुगल सम्राट बाबर के स्वलिखित लेखों के अनुसार उन्होंने यह हीरा 1526ई. में पानीपथ की प्रथम युद्ध दिल्ली और आगरा के विजय पर प्राप्त की थी।

यह हीरा बाबर के काकातीया के पास से अलाउद्दीन खिलजी द्वारा दिल्ली के सुलतान की आक्रमण के समय चुरा लिया गया था

अनिता आनंद और विलियम डालरियमपल की किताब कोह-ई-नूर: दुनिया के सबसे बदनाम हीरे का इतिहास 2017 के अनुसार -

यह हीरा सिख राज्य के पास था या उडिसा के जगन्नाथ मंदिर के पंडितों को दान कर दिया गया। या किताब के मुताबिक कलॉड मार्टन वेड के शरण में था।

हलांकि यह इतिहास में दर्ज़ है कि हीरे को कानूनी तौर पर लाहौर के महाराजा रणजीत सिंह द्वारा इंगलैंड की महारानी को आत्मसमर्पित कर दिया था।

द्वितीय सिख युद्ध 1849 में दस वर्षिय दिलीप सिंह ने अपनी हार पर इसे लॉर्ड डलहौजी को आत्मसमर्पित कर दिया था।

कोहिनूर को  इंगलैंड के लोगों को तथाकथित महान प्रर्दशनी में दिखाया गया। दिलीप सिंह ने स्वं जाकर रानी विक्टोरिया को यह हीरा भेंट किया।